Noise pollution, also known as environmental noise or sound pollution, is the propagation of noise with harmful impact on the activity of human or animal life. The source of outdoor noise worldwide is mainly caused by machines, transport (especially planes) and propagation systems. धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण या अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शोर किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी धà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पसंद न की जाने वाली धà¥à¤µà¤¨à¤¿ को धà¥à¤µà¤¨à¤¿ शोर-शराबा कहा जाता है। जिससे मानव और जीव जनà¥à¤¤à¥à¤“ं को परेशानी होती है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण पूरे विशà¥à¤µ की समसà¥à¤¯à¤¾ बन चà¥à¤•à¤¾ है, 40 डेसीबल से ऊपर की तेज और असहनीय आवाज को धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में रखा जाता है। कारण : यातायात, वाहनों की संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ शहरों में बढ़ता टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤•, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ शोर के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ परिवहन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° हॉरà¥à¤¨ का उपयोग, मोटर वाहन का शोर है, जनसंखà¥à¤¯à¤¾, खराब शहरी नियोजन (urban planning) धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को बढा सकता है, धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण उदà¥à¤¯à¥‹à¤—ों में लगी बड़ी मशीनों, हॉरà¥à¤¨, शादी पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°, तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को नषà¥à¤Ÿ किया जाना à¤à¥€ कारण है पटाखों की फटने की आवाज से बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों à¤à¤µà¤‚ छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। हमारे देश के सबसे बड़े तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° दीवाली पर 2015 में किठगठà¤à¤• सरà¥à¤µà¥‡ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पटाखों के फटने के कारण 123 डेसीबल तक आवाज चली जाती है। जबकि 80 डेसिबल से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आवाज होने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ बहरेपन का शिकार हो सकता है शोर आमतौर पर बढ़े हà¥à¤ शहरीकरण और विकास का à¤à¤• उप-उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ है। शोर जलीय और सà¥à¤¥à¤²à¥€à¤¯ निवास के धà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤• वातावरण को बदल सकता है। शहरों और रोडवेज में पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ शोर के सà¥à¤¤à¤° के कारण पकà¥à¤·à¥€ विविधता में गिरावट आई है। हमारी पूरे देश में धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण ने à¤à¤• महामारी की तरह पैर पसार लिठहै, अगर जलà¥à¤¦ ही कोई ठोस कदम नहीं उठाठगठतो आने वाले पीढ़ी को इसके à¤à¤¯à¤‚कर परिणाम à¤à¥à¤—तने होंगे। यह à¤à¤• धीमा जहर की तरह जो धीरे-धीरे मानव सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को खराब करता है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मानसिक विकार जैसे चिड़चिड़ापन, नींद ना आना मानसिक परेशानी होने लगती है। जैसे कि सर दरà¥à¤¦, यादाशà¥à¤¤ कमजोर हो जाना आदि हो सकते है और साथ ही शारीरिक विकार जैसे कि हाई बà¥à¤²à¤¡ पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤°, रकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ की गति धीमी होना जिससे हारà¥à¤Ÿ अटैक का खतरा à¤à¥€ होता है। अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शोर वनà¥à¤¯ जीव जंतà¥à¤“ं की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डालता है उनकी आदतों में बदलाव आता है, खाने-पीने संबंधी समसà¥à¤¯à¤¾ और उनकी पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ता है। अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शोर के कारण हमारे वातावरण में रहने वाले हैं पशॠपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ होती है। आपने देखा होगा कि कई पशॠलाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° चलते ही इधर-उधर को कूदने लग जाते है इससे साफ होता है कि उनको तेज आवाज से बहà¥à¤¤ परेशानी होती है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण पशॠपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के खाने पीने में, पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾, रहन सहन में काफी बदलाव आ जाता है। समà¥à¤‚दà¥à¤° में सेनाओं के लगातार अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के कारण चोंचदार वà¥à¤¹à¥‡à¤² नामक पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ खतरे में है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण केवल मानव जाति के लिठही घातक नहीं है यह अनà¥à¤¯ जीव जंतà¥à¤“ं के लिठà¤à¥€ उतना ही घातक है। इसे वनà¥à¤¯ जीव जंतà¥à¤“ं की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होती है। धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के रोकथाम के उपाय – Dhwani Pradushan ke Roktham ke Upay धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को रोकने के लिठहमें अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में पेड़ पौधे लगाने चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पेड़ पौधे 10 से 15 डेसीबल की आवाज को रोक लेते है। हमें कम आवाज करने वाली मशीनों का उपयोग करना चाहिà¤à¥¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ शोर करने वाले उदà¥à¤¯à¥‹à¤—-धंधों को साउंड पà¥à¤°à¥‚फ इमारत में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहिà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ और खसà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¾à¤² वाहनों का उपयोग नहीं करना चाहिà¤à¥¤ लाउडसà¥à¤ªà¥€à¤•à¤°à¥‹à¤‚ का उपयोग कम करना चाहिà¤à¥¤ अनावशà¥à¤¯à¤• हॉरà¥à¤¨ नहीं बजाना चाहिà¤à¥¤ हमारे देश में छोटे बड़े वाहनों को मिलाकर वाहनों की संखà¥à¤¯à¤¾ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बढ़ गई है।वाहन à¤à¥€ अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कम जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण करते है। हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में वरà¥à¤· 1950 में कà¥à¤² वाहनों की संखà¥à¤¯à¤¾ करीब 30 लाख थी। और जैसे-जैसे हमारा देश विकसित हो रहा है वाहनों की संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ बढ़ती जा रही है। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ छोटे बड़े वाहनों को मिलाकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· लगà¤à¤— 1 लाख वाहनों का पंजीकरण किया जाता है। संपूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वरà¥à¤· 2019 के आंकड़ों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° 25 करोड़ लगà¤à¤— वाहन पंजीकृत हैं। आजकल लोग अपने वाहनों में तीखी आवाज वाले हॉरà¥à¤¨ लगवाते है
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